जहां कहीं भी गालियाँ ,नोंक झोंक में मस्त
गुत्थम गुत्था का मज़ा ,बहे हवा अलमस्त
बहे हवा अलमस्त ,उमड़े घुमड़े तब भीड़
पुलिस पुलिस का शोर ,भगदड़ में मिले न नीड़
गाली का इतिहास ,बता सका न कोई भी
गाली सदाबहार ,जगत में जहां कहीं भी
[भोपाल:०७.०५.०९]
Wednesday, May 6, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment