Sunday, May 3, 2009

गाली :कुछ कुंडलियाँ

हर भाषा हर देश में ,गाली का अस्तित्व
समय समय की गालियाँ ,रखतीं बड़ा महत्व
रखतीं बड़ा महत्व ,भरें खुशियों से झोली
हो जब द्वाराचार,कि धूल धूसरित होली
कवि लेखक विद्वान् ,न दे पाये परिभाषा
शान कभी अपमान ,गालियों से है आशा

जहां कहीं भी गालियाँ ,नोंक झोंक में मस्त
गुत्थम गुत्था का मजा ,बहे हवा अलमस्त
बहे हवा अलमस्त ,उमड़े दर्शकगन भीड़
पुलिस पुलिस का शोर ,भगदड़ में मिले न नीड़
गाली की औकात ,नप ना पाई कभी भी
गाली सदाबहार ,जगत में जहां कहीं भी

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