Wednesday, May 6, 2009

गाली का गौरव :तीन

गाली अंतर्मन छिपा ,सबसे गूढ़ रहस्य
मदिरा पीता सेक्स की ,हर गाली का कथ्य
हर गाली का कथ्य ,चाहता बनना गालिब
गली में हर बात ,लगे ना सदा मुनासिब
पर गाली आनंद ,समझते हैं भोपाली
जबी भी करते बात,होठ पर पहले गाली
[भोपाल :०५ .०५ .० 9]

गाली का गौरव :दो

जहां कहीं भी गालियाँ ,नोंक झोंक में मस्त
गुत्थम गुत्था का मज़ा ,बहे हवा अलमस्त
बहे हवा अलमस्त ,उमड़े घुमड़े तब भीड़
पुलिस पुलिस का शोर ,भगदड़ में मिले न नीड़
गाली का इतिहास ,बता सका न कोई भी
गाली सदाबहार ,जगत में जहां कहीं भी
[भोपाल:०७.०५.०९]

गाली का गौरव:एक

हर भाषा हर देश में ,गाली का अस्तित्वसमय
समय समय की गालियाँ ,रखतीं बड़ा महत्त्व
रखतीं बडा महत्व ,भरें खुशियों से झोली
हो जब द्वाराचार,कि धूल धूसरित होली
कवि लेखक विद्वान् ,न दे पाये परिभाषा
शान कभी अपमान ,गालियों से है आशा

Sunday, May 3, 2009

गाली :कुछ कुंडलियाँ

हर भाषा हर देश में ,गाली का अस्तित्व
समय समय की गालियाँ ,रखतीं बड़ा महत्व
रखतीं बड़ा महत्व ,भरें खुशियों से झोली
हो जब द्वाराचार,कि धूल धूसरित होली
कवि लेखक विद्वान् ,न दे पाये परिभाषा
शान कभी अपमान ,गालियों से है आशा

जहां कहीं भी गालियाँ ,नोंक झोंक में मस्त
गुत्थम गुत्था का मजा ,बहे हवा अलमस्त
बहे हवा अलमस्त ,उमड़े दर्शकगन भीड़
पुलिस पुलिस का शोर ,भगदड़ में मिले न नीड़
गाली की औकात ,नप ना पाई कभी भी
गाली सदाबहार ,जगत में जहां कहीं भी

पाश्चाताप

मन मसोसकर रह गया ,पढ़कर असल किताब

उल्टा कैसे हो गया ,सीधा सरल हिसाब

सीधा सरल हिसाब ,गले की फांसबन गया

ताजमहल इतिहास ,अरे उपहास बनk uredगया

बिखरा ज्यों आनंद,पतझर में पत्ते -सुमन

टूटे उलझे तार , रहें कुरेद हैं तन मन

भोपाल:१९.०४.०९]

आनंद की कुंडलियाँ

पर्वत जैसी पीर में ,पापा आते याद
कही अनकही ध्यानसे ,सुनते हैं फरियाद
सुनते हैं फरियाद ,पैठते गहरे तल में
हल सबको स्वीकार ,खोज लाते हैं पल में
मन की मिटे खटास ,पिलाते मीठा शर्बत
घर भर दे आनंद ,पिघल संशय का पर्वत
[भोपल१८.०४.०९]