Tuesday, September 28, 2010

मंहगाई की आग

मंहगाई की जो लगी ,दुनिया भर में आग
दिन में तारे दिख रहे ,भूली गाना फाग
भूली गाना फाग, पेट में चूहें कूंदें
गूंगा बहरा तंत्र ,समूचा आँखें मूंदें
वैश्वीकरण बाज़ार ,कर रहा खूब कामाई
सबकी रोटी दाल ,लीलती है महगाई
[भोपाल:.२८.०९.१०]

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