सकल जगत है अनमना
चिंता का कारन बना
तापमान का उछलना
ताप ताव ऐसा तपा
बर्फ पिघल पानी बना
प्रकृति हो रही है खफा
घोर प्रदूषण बढ़ रहा
शुद्ध हवा पानी नहीं
जीवन घुल घुल मर रहा
पानी तल गहरा हुआ
दिखा रहे हैं झुनझुना
सर सरिता निर्झर कुआं
यह कैसा अंधेर है
गधे पजीरी खा रहे
कलियुग का यह फेर है
संसद पर हमला करे
सीना ताने रह रहा
फांसी से वो ना डरे
रूप पुजारी का धरो
जप माला छापा तिलक
हत्याएं सौ सौ करो
हुआ चलन संतान का
तोड़ रहे अनुवंध शुचि
रेशम से संवंध का
Sunday, August 8, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment