Wednesday, June 9, 2010

बरसेंगें कब मेंघ?

जब बादल बरसे नहीं ,लें जब तम्बू तान
पलपल बढ़ती उमस से ,सब जग हो हैरान
सब जग हो हैरान ,चैन ना पड़े किसी को
पूंछो जिसके हाल ,परेशानी है उसको
सबके सब तरबतर ,पूंछते हैं सबके सब
बरसें कब घन राज ,सांस राहत में हो जब
[
भरूच.०९.०५६.२०१०]

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