Thursday, June 10, 2010

माँ :संतानों के नाम

कितने माँ संकट सहे ,संतानों के नाम
पल पल पर पीती रहे ,सहनशक्ति के नाम
सहनशक्ति के नाम ,नशा देते हैं ऐसा
पी लेती विष घूँट ,भले हो सागर जैसा
चैन न ले दिनरात ,संजोती स्वर्णिम सपने
सबकी लिखे किताब ,चूमते तारे कितने ?
[भरूच:१०.०६.२०१०]

Wednesday, June 9, 2010

बरसेंगें कब मेंघ?

जब बादल बरसे नहीं ,लें जब तम्बू तान
पलपल बढ़ती उमस से ,सब जग हो हैरान
सब जग हो हैरान ,चैन ना पड़े किसी को
पूंछो जिसके हाल ,परेशानी है उसको
सबके सब तरबतर ,पूंछते हैं सबके सब
बरसें कब घन राज ,सांस राहत में हो जब
[
भरूच.०९.०५६.२०१०]

आंखमिचौनी

आंखमिचौनी भूलकर ,घन बरसे जब खूब
सौंधी सौंधी गंध से ,महकी धरती दूब
महकी धरती दूब ,ताप को लगा पलीता
पारें का मन शांत ,हाथ में थामे फीता
ताप हुआ बेज़ार ,शकल सब औनी पौनी
भूल गए घनराज ,खान की आँख मिचौनी
[
भरूच:०७.०६.२०१०]