कौन सुनेगा
किसे सुनाऊं
इस कलियुग की रामकहानी
नर - नारी मशीन की छाँव
धरा -धाम पर धरें ना पाँव
चाँद सितारों तक जा पहुँचे
जपते जपते नीर का नाँव
कल के अचरज
सभी गिनाऊँ
रखना मुश्किल याद जबानी
अम्मा के हाथों की रोटी
सालन चटनी लगती खोटी
बाज़ारों की सड़ी गली भी
जितनी महगी उतनी मीठी
रेशम -रिश्ते
हुए उबाऊ
अपनेपन की लटी निशानी
चलता है अब सिक्का खोटा
शुद्ध हवा पानी का टोटा
वैश्वीकरण बाजारबाद नित
इधर उधर भाँजें सोंटा
किसको कैसे
गीत सिखाऊँ
अधर अधर पर खर -स्वर -पानी
[भोपाल:२६.०४.२०१०]
Monday, April 26, 2010
Thursday, April 15, 2010
आतंक का साया
चील गिद्ध कौवे मंडराते
लिए कफ़न के बस्ते
टिड्डी दल बन फसल चाटते
आतंकबादिए दस्ते
पलक झपकते ही बिछ जाती
लाशों पर जब लाशें
शकसंदेहों के घेरों से
निकल न पातीं फांसें
छाई रहती है दहशतगर्दी
सुबह शाम दोपहरी
आतंकबाद के सौदागर
बुनते चादर धुन्धरी
तंत्र मन्त्र हैरान
भय का तना वितान
नींद नहीं जब आए
कैसे मन मुस्काए?
कांक्रीट के जंगल बुनते
वनंउपवन की ठठरी
पञ्च तत्व हो गए विषैले
चिंतित दुनिया सबरी
तापमान की उछलकूद से
काँप उठा भूमंडल
प्रक्रतिनटी के तेवर तीखे
लिए विनाश कमंडल
वादों के दलदल में दुनिया
भटक गई है रस्ता
वैश्वीकरण बाजारबाद से
हुई उधारी खस्ता
बर्बादी आभूषण
भ्रष्टाचार-प्रदूषण
आतंकवाद बन छाए
कैसे मन मुस्काए ?
लिए कफ़न के बस्ते
टिड्डी दल बन फसल चाटते
आतंकबादिए दस्ते
पलक झपकते ही बिछ जाती
लाशों पर जब लाशें
शकसंदेहों के घेरों से
निकल न पातीं फांसें
छाई रहती है दहशतगर्दी
सुबह शाम दोपहरी
आतंकबाद के सौदागर
बुनते चादर धुन्धरी
तंत्र मन्त्र हैरान
भय का तना वितान
नींद नहीं जब आए
कैसे मन मुस्काए?
कांक्रीट के जंगल बुनते
वनंउपवन की ठठरी
पञ्च तत्व हो गए विषैले
चिंतित दुनिया सबरी
तापमान की उछलकूद से
काँप उठा भूमंडल
प्रक्रतिनटी के तेवर तीखे
लिए विनाश कमंडल
वादों के दलदल में दुनिया
भटक गई है रस्ता
वैश्वीकरण बाजारबाद से
हुई उधारी खस्ता
बर्बादी आभूषण
भ्रष्टाचार-प्रदूषण
आतंकवाद बन छाए
कैसे मन मुस्काए ?
Tuesday, April 6, 2010
बेटा
सड़क किनारे लेटा है
नंग -धडंगा लेटा है
लगता मनमानी पीकर
bhookheen saansen letaa hai
मजबूरी पागलपन का
परिचय जग को देता है
सब संवेदनहीन हुए
नोटिस कोइ न लेता है
भूल गए हम सब कैसे
भारत माँ का बेटा है
[भोपाल:०५.०४.२०१०]
नंग -धडंगा लेटा है
लगता मनमानी पीकर
bhookheen saansen letaa hai
मजबूरी पागलपन का
परिचय जग को देता है
सब संवेदनहीन हुए
नोटिस कोइ न लेता है
भूल गए हम सब कैसे
भारत माँ का बेटा है
[भोपाल:०५.०४.२०१०]
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