Tuesday, January 5, 2010

नये वर्ष की नई धूप

नए वर्ष की नई धूप में सबको साथ नहाना
गाँव शहर क बीच विषमता की दीवारें
गाँव शहर के बीच अडीं हैं ऊंची मीनारें
अर्थ विकास विषमता का विष घोल रहा
अर्थ तंत्र सारे गाँव का डोल रहा
अब विकास के समीकरण को नया बनाना होगा
नए वर्ष की धूप में सबको साथ नहाना होगा
आतंकवाद भ्रष्‍टाचारों में सारा जग पलता
आये दिन चौराहों पर जिन्‍दा जीवन जलता
भूखा पेट हाथ खाली हैं मन में युद्ध मचलाता
दुनिया का भविष्‍य खतरों के पंजों में जकड़ा लगता
मानव को सच्‍च्‍े जीवन का पाठ पढ़ाना होगा
नये वर्ष की नई धूप में सबको साथ नहाना होगा
प्रकृति साधनों का अति दोहन खतरा उगल रहा
भीड़ भाड़ वाहन कोलाहल शांति निगल रहा
गंगा यमुना नील वोल्‍गा का जल हुआ विषैला
धुआं उगलता विष जहरीला जो चिमनी से फैला
विषम प्रदूषण की ज्‍वाला को आज बुझाना होगा
नये वर्ष की नई धूप में सबको साथ नहाना होगा।

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