Monday, March 17, 2008

सिंहासन खाली कर दो

जितना उसका हक अपना ,अब तुमसे माग रही
सिंहासन खाली कर दो ,अब जनता जाग पडी

बधुआ मजदूरी में तुमने
उसको स्वर्ग दिखाया
पूरी हलुवा तुमने चाटा
जूठन उसे खिलाया
आजादी का पाठ पढा , टू सीना तान खडी

कलम किताबो पर कब्जा कर
उलटा पाठ पदाया
जादू टोना भूल भुलैयोँ
मेउसको भरमाया
भाषा समझी सही सही ,तबसे भौहें अकड़ी

महलों मे कैद रोशनी की
कुटियोँ को तम बाटा
मीन मे मेक निकाली जिसने
पडा गाल पर चाटा
पीड़ा कसक रही मन में ,बदले के लिए अड़ी
[भोपाल: 10.1.०८]

No comments: