Thursday, August 21, 2008

माँ की ममता


माँ की ममता के लिए, मिले किसे उपमान
ढूढ़ ढूढ़ क्र थक गये ,तुलसी सूर महान

किलकारी जब खेलती, खेले सब संसार
परिजन मन ही मन हंसे ,माँ का अनुपम प्यार

अपने सब सुख सब वार दे ,संतानों के नाम
भनक पडे जब रुदन की रोके सारे काम

रोट शिशु हसने लगे ,माँ गोदी की छाँव
नींद सलोनी सुला दे ,स्वर्गिक सुख के गाँव

शिशु पीडा माँ को लगे ,पर्वत जैसी पीर
छाती पर शिशु को रखे ,सागर सी गंभीर

शिशु का हगना मूतना ,माँ का छीने कौर
दुनिया में बलिदान का,उदाहरण ना और

शिशु को शेती कोख में , सहती कष्ट हजार
प्रसव वेदना झेलती ,जीवन दे हर बार

माँ के ऋण से आजतक ,हुआ कौन उद्धार
प्राणों की बाजी लगा ,करती है उपकार

माँ के बिना न चल सके ,जीवन क्रम संसार
माँ न होती पिताजी ,किसे बांटते प्यार

माँ की महिमा जगत में,सचमुच अपरम्पार
ईश्वर भी संसार में ,माँ आंचल का प्यार

ठग डाकू बटमार भी , माँ कापूत सपूत
उलझन में जब भी फंसे ,माँ होती अविभूत

आखों का तारा रढे, रोग मचाये शोर
रात-रात भर जागती ,कोरी आखों भोर